कारक क्या है, कारक के भेद, कारक की तालिका

 Hi guys, 

                 गाइस आज के इस लेख में हम आपके लिये हिंदी व्याकरण के ' कारक ' टॉपिक को कवर करने वाले हैं। इस टॉपिक में हम आपको कारक का अर्थ, परिभाषा बताएंगे। औऱ साथ मे कारक के सभी प्रकार और भेद भी बताएंगे। आशा करते है कि ये आपको जरूर पसंद आएंगे।

Karak ka arth, karak ki pribhasha


कारक

कारक का क्या है:- वाक्य में प्रयुक्त ' संज्ञा ' या ' सर्वनाम ' शब्दों का उस वाक्य की क्रिया से सम्बन्ध होना ही कारक कहलाता है।

कारक की परिभाषा:- ' संज्ञा ' या ' सर्वनाम ' के जिस रूप से वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध ज्ञात होने को ही कारक कहते हैं।
जैसे:- 1. लक्ष्मण ने मेघनाथ को मारा।
         2. सोहन कुर्सी पर बैठा है।

इन वाक्यों में को और पर कारक पाया गया है

कारक के भेद कितने होते है?


कारक आठ प्रकार के होते हैं:-
1.कर्ता कारक
2.कर्म कारक
3.करण कारक
4.सम्प्रदान कारक
5.अपादान कारक
6.सम्बन्ध कारक
7.अधिकरण कारक
8.सम्बोधन कारक

इन कारकों को विभक्ति भी कहते हैं। हर कारक का चिन्ह निर्धारण किया है। कारक के चिन्हों को विभक्त चिन्ह भी कहते हैं।

कारक                    संकेत/चिन्ह                   विभक्ति
कर्ता                            ने                               प्रथम
कर्म                            को                             द्वितीय
करण                      से, के द्वारा                      तृतीय
सम्प्रदान                 के लिए, को                      चतुर्थ
अपादान                 से (अलग होना)                पंचम
सम्बन्ध                  का, की, के, रा, री, रे            षष्ठी
अधिकरण                में, पर                            सप्तमी
सम्बोधन                 हे ! रे ! अरे ! ओ !

I. कर्ता कारक -:   (संकेत - ' ने ' )
 संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होना ही कर्ता कारक कहलाता हैं- 
जैसे:- रोहन ने पत्र लिखा।
इस वाक्य में ' लिखा ' क्रिया है। तो प्रश्न ये बनता है कि पत्र लिखने की क्रिया किसने की ? तो उत्तर ये बनता है कि ' रोहन ने '।
' रोहन ' ' लिखा ' क्रिया है को करने वाला [कर्ता ] है।
उदाहरण -
श्याम ने पुस्तक पढ़ी।
श्रीराम ने रावण को मारा।
सरिता ने पान खाया।

II. कर्म कारक -:  (संकेत - ' को ')
वाक्य में शामिल जिस शब्द पर कर्ता द्वारा किए जाने वाले कर्म का फल पड़ता है, उसे ही कर्म कारक कहते हैं - जैसे
उदाहरण-:
सरिता ने श्याम को मारा।

इस वाक्य में ' सरिता ' (कर्ता) द्वारा किए गए कर्म (मारना) का फल ' श्याम को ' पर पड़ रहा है। अतः ' श्याम को ' यहाँ कर्म कारक है। 

रामकुमार बाज़ार गया है।
सोहन पुस्तक पढ़ता है।
राधेश्याम ने घनश्याम को पत्र लिखा।

III. करण कारक -: (संकेत - ' से, के द्वारा ')
वाक्य में शामिल कर्ता जिसकी सहायता से क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते हैं-
जैसे:- हर्षित ने कलम से पत्र लिखा।
किसकी सहायता से पत्र लिखा? उत्तर बना - ' कलम ' की सहायता से। अर्थ ये हुआ कि ' कलम ' लिखने का साध्य है।
उदाहरण -:
गीता छुरी से फल काटती है।
रोहित लकड़ी से कुत्ते को मार रहा है।

IV. सम्प्रदान कारक -: (संकेत - ' के, के लिए ')
इस कारक से वाक्य में शामिल कर्ता जिसके लिए कोई क्रिया करे, उसे ' सम्प्रदान कारक ' कहते हैं, जैसे -
सीता बच्चों के लिए खाना लाती हैं।

यहाँ सीता (कर्ता) खाना लाने की क्रिया कर रही है।
किसके लिए यह क्रिया की जा रही है? उत्तर बनता है- ' बच्चों के लिए '। अतः बच्चों के लिए ' सम्प्रदान कारक है '। 
अंकुर अनुज के लिए अमरूद लाया है।
अंकित पूजा के लिए फूल है।
सरिता रीता के लिए कॉफी लायी है।
लोकेश खिलाड़ी के लिए पानी लाया।

V. अपादान कारक -: [संकेत - ' से (अलग होना)]
वे वाक्य जिससे किसी वस्तु का अलग ज्ञात हो, उसे अपादान कारक कहते हैं, जैसे:-
उदाहरण:- रजत पेड़ से गिर पड़ा।
यहाँ ' रजत ' गिर पड़ा। कहाँ से गिर पड़ा? उत्तर बना - ' पेड़ से '। अंतः ' पेड़ से ' अपादान कारक है। ठीक इसी प्रकार -
हर्ष ट्रक से कूद पड़ा।
लड़के कॉलेज से चले गए।
पत्तियाँ पेड़ो से गिर रही है।

VI. सम्बन्ध कारक -: (संकेत - ' रा, री, रे, का की, के)
संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को जिससे किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ संबंध का बोध होता है उसे ' संबंध कारक ' कहते है, जैसे:-
उदाहरण-
अर्णव का भाई जा रहा है।
यहाँ जाने वाले व्यक्ति का संबंध ' अर्णव ' से प्रकट हो रहा है।
इसलिए इस वाक्य में ' राम का ' संबंध कारक है
जैसे-
वह तुम्हारा फ्लैट है।
वे फूल तुम्हारे है।
अर्जिता की बहन आ रही है।

VII. अधिकरण कारक -: (संकेत - ' पर, में)
जिन शब्दों में क्रिया के आधार का बोध होता है, वे अधिकरण कारक कहलाते है।
उदाहरण- पापा सीट पर बैठे हैं।
' पापा ' कहाँ बैठे हैं? उत्तर बना -  सीट पर । यहाँ ' सीट ' पर बैठने की क्रिया का आधार है। अतः ' सीट पर ' अधिकरण कारक हैं।
जैसे- 
कुत्ता दरी पर बैठा है।
पुस्तकें दराज में रखी है।
कमरे में कूलर चल रहा है।

VIII. सम्बोधन कारक -: (संकेत - हे ! रे ! अरे ! ओ !)
वाक्य में संज्ञा के जिस के रूप से बुलाने, पुकारने, या सावधान करने का बोध होता है, वह ' संबोधन कारक ' है।
उदाहरण:- राकेश ! तुम शीघ्र भाग जाओ।
इसमें ' राकेश ! ' में संबोधन कारक है

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गाइस हमने एक और हिंदी ग्रामर का कारक टॉपिक कुछ इस तरह तैयार किया है। अगर आपको पसंद आये तो जरूर करे साथ ही इस पोस्ट में आपको कुछ मिसिंग या छूटा लगे तो हमें कमेंट करके जरूर बतायें।






















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